क्लिक करिए और सुनिए दो मिनट और 37 सैकिंड का स्वच्छता पर ऑडियो स्वच्छता का महत्व और हमारी जागरुकता – ऑडियो धरती को रहने लायक कैसे बना जाए ? क्या वाकई में स्वच्छता अभियान में हमारा कोई योगदान हो सकता है ? या फिर दान पुण्य के नाम पर गंदगी फैलाना ही जायज है…!! हास्य […]
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उफ … ये हमारा पशु प्रेम
तू इस तरह से मेरे जिंदगी मे शामिल है जहां भी जाऊं ये लगता है तेरी महफिल है …. रुकिए रुकिए ज्यादा सोचिए मत!!! असल मे, यह गाना मैं पशुओ के लिए गुनगुना रही हू जो हमारे चारो तरफ है. जिधर देखू तेरी तस्वीर नजर आती है…क्या??? आपको विश्वास नही हो रहा चलिए मै बताती हूं. सुबह सुबह घर से आफिस जाने के लिए निकलती हूं तो हमारी पडोसन गजगामिनी उर्फ मुन्नी अक्सर हमारे गेट के आगे फल और सब्जियो के छिलके फैकती मिल जाती है. असल मे, वो क्या है ना सडक पर धूमने वाले सांड और बैल भूखे रहे यह उसे सहन नही होता और उसके घर के आगे उनका नाच हो यह भी उसे अच्छा नही लगता इसलिए वो अच्छी पडोसन होने के नाते अपना प्यार दिखाती हुई ,छिलके फेंक कर मीठी मुस्कुराहट लिए भीतर चली जाती है और मै भी जल्दी से कार मे बैठ कर दफ्तर लपकती हूं कि कही लडाई करते सांड और बैल मेरा रास्ता ही ना रोक ले.
अब रास्ते की बात करे तो सडक पर एक मैन होल का ढक्कन किसी ने चुरा लिया तो गऊ माता उसमे गिर गई थी. ना सिर्फ लोग बल्कि चैनल वाले भी लाईव कवरेज के लिए माईक लेकर खडे सनसनी पेश कर रहे थे और यह अब तो हर रोज की ही बात हो गई हैं.
हमेशा की तरह भारी ट्रैफिक से बच बचाकर किसी तरह दफ्तर पहुची तो मेरा स्वागत बुलडोजर से हुआ. क्या !! आप उसे भी नही जानते !! बुलडोजर हमारे बास के कुत्ते का नाम है पर श्श्श्श्श्श … उसे कुछ भी कहना …पर…. कुत्ता मत कहना. बास बुरा मान जाएगे.खैर, जैसे ही मै बास के रुम मे पहुंची तभी उनकी श्रीमति जी का फोन आ गया और शेर से वो अचानक भीगी बिल्ली बन कर म्याऊ म्याऊ करके बात करने लगे. उफ ये पशु प्रेम !!
अपनी सीट पर आई तो एक फाईल गायब थी तभी पता चला कि आज बंदरो की टोली आई थी खिडकी के रास्ते. हो सकता है कि कागज,वागज उठा कर ले गए हो. मैने सिर पकड लिया कि अब बलि का बकरा मै ही बनने वाली हूं और हुआ भी यही चाहे आप इसे बंदर धुडकी कहे या गीदद भभकी … मुझे घर भेज दिया गया कि आप जाकर आराम करें. कल बात करेगे.
देखे कल ऊटं किस करवट बैठता है सोचते सोचते मै घर लौट आई. पर बात अभी भी खत्म नही हुई. घर पर चूहे बिल्ली की कोई कार्टून चल रही थी.सच, उफ!!! जानवरो ने तो मुझे कही का नही छोडा.आज अगर मेरी नौकरी जाएगी भी तो वो भी सिर्फ बंदर की वजह से.सच मे, ये जानवर जिंदगी मे इस कदर हावी हो गए है कि मुझे काला अक्षर भैंस बराबर लगने लगा है और मैं खडी बास यानि भैस के आगे बीन बजा रही हूं और शायद मगरमच्छ के आसूं बहा रही हू पर .. पर … पर …!!!
तभी भैंस का मेरा मतलब बास का फोन आ गया. उन्हे शाम को अपनी पत्नी के साथ शांपिग जाना था और मेरी डय़ूटी लगा दी कि बुलडोजर को पार्क मे घुमाने ले जाना है क्योकि मैनें उन्हे बताया हुआ था कि मुझे जानवरो से विशेष प्रेम है इसलिए मरती क्या न करती. मुस्कुरा कर हामी भर् दी.सोचा शेर के मुहं मे हाथ डालने से क्या फायदा.अब तो जल्दी ही बुलडोजर के बहाने गधे को बाप बना कर अपनी प्रोमोशन का राग जरुर छेड दूगी और मै बछिया का ताऊ बनी जी हजूरी मे जुट गई.
सडक पर बुलडोजर इतरा कर चल रहा था जैसे अपनी गली मे कुत्ता भी शेर हो. सैर सपाटा करवा कर घर पहुची तो पडोसन मुन्नी रात के खाने की तैयारी कर चुकी थी. गेट के आगे छिलको मे मटर और गाजर भी थी लग रहा था कि शायद मेहमानो को बुलाया है नही तो सुबह शाम मैथी,गोभी और आलू के छिलको से ही दो चार होना पडता है मै खडी खडी सोच ही रही थी तभी ना जाने कहां से बैलो के जोडे को छिलको की महक आई और वो अचानक सरपट भागते भागते आए और छिलके खाने मे जुट गए और मै डर के मारे घर के भीतर भागी. तभी फोन की घंटी घनघना उठी बास का फोन था कि कल सुबह जल्दी आ जाना क्योकि शाम को घर लौटते वक्त कोई बैल अचानक उनकी गाडी के सामने आ गया टक्कर हो गई और उन्हे पैर मे फ्रैक्चर हो गया है….
तो मै सही हू ना … जानवर हमारी जिंदगी मे शामिल हुए कि नाहि … इसलिए जहां भी जाए ये लगता है …!!!!
जरुर बताईएगा कि आपको ये लेख कैसा लगा !!!
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