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ब्लड ग्रुप ओ और मच्छर आज मैं गूगल सर्च पर Blood group और हमारी diet क्या हो देख रही थी तभी एक खबर ने चौंका दिया … और मुंह से निकला ओ नो … !!O noooo .. !!! असल में, मैंने पढा कि O ब्लड ग्रुप वाले लोगों को A ब्लड ग्रुप की तुलना […]
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लघु कथा- बेटी एक छोटी सी पर कहानी… उनकी बेटी कुछ दिन घर रहने आ रही है इसका मतलब ” वो ” बखूबी जानते थे. बिना समय गवाऎ उन्होनें अपना फ्लैट गिरवी रखवा कर उसके द्वारा भिजवाई गई “मांगों की लिस्ट ” पर त्वरित खरीददारी शुरु कर दी… लघु कथा- बेटी
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प्यार रिश्ते और अहसास की गर्मी कुछ देर पहले मैं खबर देख रही थी कि आज दिल्ली में सबसे ठंडा दिन. इतने मे मणि भी आ गई. अपनी वही पुरानी और सदाबहार शाल के साथ. ये shawl उसकी मम्मी की है और मणि का मानना है कि इसमे बहुत गरमाहट है हालाकि उसकी मम्मी भी […]
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Petrol Petrol सस्ता हुआ है शापिंग तो बनती है ना
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दैनिक भास्कर ( मोनिका गुप्ता)
लेख प्रकाशित
दैनिक भास्कर की पत्रिका मधुरिमा मॆ आज अनुभव के अंतर्गत लेख प्रकाशित हुआ. अनुभव था.हिल स्टेशन यात्रा -एक अनुभव..एक हिला देने वाला अनुभव … जी हां मैने भी की हिल स्टेशन यात्रा… क्या ??? आपको विश्वास नही हो रहा ??? क्या मैं पूछ सकती हूं कि विश्वास न करने की क्या वजह है ??? फोटो ??? ओह … हां !!! ये तो सच है कि कोई फोटो नही डाली पर इसका मतलब यह भी नही की हम गए ही नही… !!! असल में, कैमरा तो था पर तस्वीरे ली ही नही.. कैमरा बैग में ही पडा रहा.
पूरा पढने के लिए आप क्लिक कर सकते हैं …
http://www.monicagupta.info/articles/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B2-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%A8-%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%AD/
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मेरा प्रिय मित्र
मेरा बेस्ट फ्रैंड
वैसे तो मेरे बहुत मित्र हैं पर उसकी तो बात ही अलग है. हमारी दोस्ती को लगभग बारह साल से भी ज्यादा हो गए. शुरु शुरु में तो उसे देख कर घबरा जाती थी पर जैसे जैसे मुझे उसकी आदत पडती गई बस फिर हमारी दोस्ती पक्की दोस्ती में बदल गई. अब वो हमारा पारिवारिक मित्र है. मेरे सभी रिश्तेदार और दोस्त उसे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं.
छोटे से कद का दुबला पतला है पर फिर भी बहुत ताकतवर है. हमेशा मुझे खुश रखने की कोशिश करता है और मेरा भी हमेशा यही प्रयास रहता है कि कभी वो रुठ न जाए. एक सबसे अच्छी बात ये भी है कि वो समय का बहुत पाबंद हैं और मुझे भी उसी के अनुसार चलने के सलाह देता है. कई बार जब मैं समय का ध्यान न दू तो वो बोल बोल कर नाक और कान में दम कर देता है.
कई बार वो मुझे चुप करा देता है तो कई बार मैं ही उसे चुप करवा देती हूं. किसी तरह का स्वार्थ या अहम तो है ही नही उसमे … मैं कुछ भी काम कह दूं हमेशा तैयार रहता है… हां खाने के मामले में बहुत सुस्त है पर जब भी खाता है भर पेट खाता है… इसमे कोई शक नही कि वो मुझे हमेशा आईना दिखाता है अगर कभी मैं भटक जाऊ मुझे हमेशा सही राह दिखाता है. जब भी बेहद कीमती है वो मेरे लिए. मैं उसे खोने की कल्पना भी नही सकती.
वो मेरा पक्का दोस्त है. जी क्या ?? मैने उसका नाम नही बताया ?? अरे हां !!! बातो बातों मे तो मैं बताना भूल ही गई. वो मेरा मोबाईल है…. प्यार से मैं उसे मोबू कहती हूं.
भई देखिए … आजकल यही सच है. सभी इससे जुडे रहते हैं एक मिनट भी नही छोडते उसे. चाहे घर के लोग बैठे हो या दोस्त हमारा ध्यान बजाय उनमे होने के पूरा ध्यान मोबाईल पर ही रहता है. तो हुआ न बेस्ट फ्रेंड !!! मायने बदल गए हैं जनाब !!!
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हिंदी दिवस
हिंदी दिवस की बधाई तो बनती है … बेशक , अगर तुलना करें तो हम भारतीय अंग्रेजी बोलने में अपनी शान समझते हैं और पलडा भी अंग्रेजी का ही भारी है बस आज हिंदी दिवस रुपी गुब्बारे मे हवा भरी जा रही है ताकि आज तो ये उंचाईयों पर रहे और कल से तो फिर वही !!!
वैसे आप चाहे कुछ भी समझे आज अगर हम नेट पर हिंदी लिख पा रहे हैं तो वो सिर्फ और सिर्फ गूगल की वजह से गूगल ने हमें हिंदी में अपनी बात कहने लिखने का मौका दिया इसलिए सबसे बडा धन्यवाद गूगल को है…
मुझे हिंदी पर गर्व है और हमेशा रहेगा … !!!
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लाईव खुदकुशी …
वो तो मीडिया के पास कोई और खबर नही है इसलिए एक ही खबर जंतर मंतर और आम आदमी पार्टी कसूरवार से चिपके हुए हैं कोई दूसरी खबर आते ही उस पर टूट पडेगी … फिर तू कौन मैं खामखाह… कौन सा किसान और किसकी आत्महत्या.. !!!
….किसी के रोने पर टीआरपी, आपतिजनक बयानों को बार बार दिखाने पर टीआरपी .. पूरी तरह से संवेदनहीन है मीडिया.. तस्वीर का एक ही रुख दिखाता है जबकि अगर वो खुद ही जज और वकील बन कर जनता के सामने खडा हैं तो तस्वीर के दोनों रुख पेश करने चाहिए और जहां तक राजनीति की बात है मीडिया मे किस कदर राजनीति हावी है हम सब जानते है…. वाकई ये वो मीडिया नही है अफसोस !!! मिर्च, मसाला , छौक, तडका… कुछ ज्यादा ही हो रहा है … कम डालो ,नपा तुला डालो और ढंग से परोसो भई अन्यथा …
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आज यानि अर्थ दिवस पर अनर्थ हो गया. पर राजनेता क्या इस अर्थ से सबक ले पाएगें या हमेशा की तरह अर्थ हीन राजनीति ही होती रहेगी
जंतर मंतर पर आज, किसान रैली में, राजस्थान के किसान गजेन्द्र सिंह राजपूत ने पेड़ पर चढ़कर आत्महत्या कर ली . सारा मीडिया वहां था और देखते ही देखते …. !!!!
मेरा विचार यह है कि अगर, जिस समय पता चला कि कोई लटक गया है तो उसी समय भाषण रोक कर तुरंत उस व्यक्ति की और जाना नही भागना चाहिए था और उसे स्वयं अस्तपाल जाते तो शायद …
अगर ये होता तो ऐसा होता अगर वो होता तो ऐसा होता … जो भी हुआ बेहद दुखद हुआ…
प्लीज…. एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप न करे!
हे ईश्वर सदबुधि दो
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अपना हाथ ही जगन्नाथ
कभी मोदी जी तो कभी राहुल… उफ ये राजनीति !!! किसानों की बदहाली पर ठीकरा एक दूसरे पर फोडते नजर आते हैं मुसीबत के मारे किसानों ने अलग अलग रैलियां भी कर ली, धरने भी दे दिए और तस्वीरे भी खिंचवा ली पर नतीजा शून्य अब किसान को समझ आ गया है कि दुबारा हल ही लेना पडेगा और जमीन नए सिरे से जोतनी पडेगी … किसी भी राजनीति दल की इच्छा ही नही कि वो किसानो का कल्याण करे.. और रही बात मीडिया की …वो बेचारी तो अपने टीआरपी मे ही उलझी हुई है
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